Krishna Ji Quote In Hindi

कृष्ण जी के अनमोल वचन (Krishna Ji Quote In Hindi)

प्रास्तावना

हे प्रिय पाठकों, क्या आप कृष्ण जी के ज्ञान और बुद्धि से प्रेरित होना चाहते हैं? यदि हाँ, तो आप सही जगह पर आए हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान कृष्ण ने जीवन और प्रेम के बारे में ऐसे गहन और अर्थपूर्ण वचन कैसे दिए? आइए हम उनके कुछ प्रसिद्ध उद्धरणों का पता लगाएं और देखें कि वे हमारे जीवन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

कृष्ण जी के जीवन के बारे में उद्धरण

भगवान कृष्ण के जीवन के बारे में उनके उद्धरण हमें जीवन की जटिलता और इसके उद्देश्य की गहरी समझ प्रदान करते हैं।

कर्म और भाग्य पर कृष्ण जी के विचार (Karma and Fate)

कृष्ण जी ने कर्म और भाग्य पर अपने विचारों को समझाया, जिससे हमें कार्रवाई और परिणामों के चक्र को समझने में मदद मिलती है।

कृष्ण जी का प्रेम दर्शन (Love Philosophy)

प्रेम राधा कृष्ण जी के दर्शन का केंद्र था, और उनके उद्धरण इस दिव्य भावना की समझ प्रदान करते हैं।

कृष्ण जी के उद्धरणों का संकलन

यहाँ कृष्ण जी के कुछ प्रसिद्ध उद्धरण हैं, जो आपके जीवन और सोचने के तरीके को बदल सकते हैं:

उद्धरण अर्थ
“परिवर्तन ही एकमात्र सत्य है।” जीवन लगातार बदल रहा है, और हमें इन परिवर्तनों को गले लगाना चाहिए।
“जो बीत गया है उसे भूल जाओ, जो आने वाला है उसका आनंद लो।” अतीत को पीछे छोड़ने और वर्तमान क्षण की सराहना करने के महत्व पर बल देता है।
“जो तुम्हें सही मार्ग से भटकाता है वह तुम्हारा मित्र नहीं है।” सावधान रहें कि आप किसे अपने दोस्त के रूप में चुनते हैं, क्योंकि वे आपके निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं।
“अहंकार से सावधान रहो, यह पतन की जड़ है।” अहंकार अंधा कर सकता है और मूर्खतापूर्ण कार्यों की ओर ले जा सकता है।
“जब संदेह हो, तो धर्म का मार्ग अपनाओ।” जब आप अनिश्चित हों, तो नैतिकता और सच्चाई के सिद्धांतों का पालन करें।

निष्कर्ष

भगवान कृष्ण के उद्धरण समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं, जो हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और एक सार्थक जीवन जीने में मदद करते हैं। चाहे आप कर्म और भाग्य के बारे में जानना चाहते हों, प्रेम की शक्ति का पता लगाना चाहते हों, या जीवन के उद्देश्य को समझना चाहते हों, कृष्ण जी के उद्धरणों में आपके सभी सवालों के जवाब हैं। उनके ज्ञान और बुद्धि से प्रेरित हों, और एक अधिक सार्थक और पूर्ण जीवन की यात्रा शुरू करें।

कृष्ण जी के उद्धरणों पर और अधिक जानकारी के लिए, हमारे अन्य लेख अवश्य पढ़ें, जैसे “कृष्ण जी के प्रेम उद्धरण” और “जीवन के बारे में कृष्ण जी के उद्धरण”।

FAQ about Krishna Ji Quote in Hindi

1. कृष्ण जी के सबसे प्रसिद्ध उद्धरणों में से एक क्या है?

उत्तर: “परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।”

2. इस उद्धरण का क्या अर्थ है?

उत्तर: इस उद्धरण का अर्थ है कि जब भी धर्म की गिरावट होती है और अधर्म का बोलबाला होता है, तब कृष्ण धर्म की स्थापना और अच्छे लोगों की रक्षा के लिए पृथ्वी पर अवतार लेते हैं।

3. “योगक्षेमं वहाम्यहम” उद्धरण का क्या अर्थ है?

उत्तर: इस उद्धरण का अर्थ है कि कृष्ण अपने भक्तों की देखभाल और रक्षा करते हैं और उनकी सभी ज़रूरतों को पूरा करते हैं।

4. कृष्ण के बारे में “अहं ब्रह्मास्मि” उद्धरण का क्या अर्थ है?

उत्तर: इस उद्धरण का अर्थ है कि कृष्ण ब्रह्म (परमात्मा) हैं और वह हर जीवित प्राणी में निवास करते हैं।

5. कृष्ण के बारे में “त्वमेव माता च पिता त्वमेव” उद्धरण का क्या अर्थ है?

उत्तर: इस उद्धरण का अर्थ है कि कृष्ण अपने भक्तों की माँ और पिता दोनों हैं, और वह उनका हर तरह से ख्याल रखते हैं।

6. “सर्वं खल्विदं ब्रह्म” उद्धरण का क्या अर्थ है?

उत्तर: इस उद्धरण का अर्थ है कि ब्रह्म (परमात्मा) हर जगह मौजूद है, और सब कुछ ब्रह्म का ही एक रूप है।

7. “ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति” उद्धरण का क्या अर्थ है?

उत्तर: इस उद्धरण का अर्थ है कि ईश्वर (कृष्ण) हर जीवित प्राणी के हृदय में निवास करते हैं।

8. कृष्ण के बारे में “लोकाः समस्ता सुखिनो भवन्तु” उद्धरण का क्या अर्थ है?

उत्तर: इस उद्धरण का अर्थ है कि कृष्ण चाहते हैं कि सभी जीवित प्राणी खुश और समृद्ध हों।

9. “न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रियो न मे रागो न द्वेषतः” उद्धरण का क्या अर्थ है?

उत्तर: इस उद्धरण का अर्थ है कि कृष्ण का किसी से कोई लगाव या घृणा नहीं है, और वह सबके साथ समान रूप से व्यवहार करते हैं।

10. “वसुधैव कुटुम्बकम” उद्धरण का क्या अर्थ है?

उत्तर: इस उद्धरण का अर्थ है कि पूरी पृथ्वी एक परिवार है, और हम सभी को एक साथ मिलकर रहना चाहिए।

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